स्थान: अनासक्ति आश्रम, कौसानी, उत्तराखंड
तारीख: 7-9 जून 2025
‘Youth for Truth’ के तत्वावधान में उत्तराखंड के सुरम्य पर्वतीय क्षेत्र कौसानी स्थित ऐतिहासिक अनासक्ति आश्रम में एक तीन दिवसीय गांधी विचार चिंतन शिविर का सफल आयोजन हुआ। इस शिविर में देश भर से आए लगभग 50 युवा प्रतिनिधि एवं वरिष्ठ गांधीजन शामिल हुए।
शिविर का प्रमुख उद्देश्य समकालीन सामाजिक, वैचारिक एवं सांस्कृतिक संकटों के संदर्भ में गांधी विचार की प्रासंगिकता पर संवाद करना और भावी कार्यनीति को लेकर साझा संकल्प बनाना था।
प्रमुख विषयों पर हुआ गहन विमर्श
तीन दिनों तक चले विचार मंथन में विशेष रूप से निम्नलिखित तीन विषयों पर केंद्रित संवाद हुआ:
1. युवाओं की वर्तमान चुनौतियाँ
2. गांधीवादी वरिष्ठजनों एवं संस्थाओं से युवा पीढ़ी की अपेक्षाएँ
3. गांधीजी को लेकर प्रचलित आलोचनाओं और भ्रांतियों की समालोचना
विचार-विमर्श के दौरान युवाओं ने शिक्षा, बेरोज़गारी, बढ़ती हिंसा, सामाजिक विघटन, राजनीतिक नैतिकता का ह्रास, मीडिया की भूमिका तथा लोकतंत्र की चुनौतियों जैसे मुद्दों को मुखर रूप से उठाया। इस अवसर पर वरिष्ठ गांधीवादियों ने अपने जीवन अनुभव साझा किए और युवाओं को विचार एवं कार्य के माध्यम से दिशा देने का प्रयास किया।
कौसानी घोषणा – शिविर का सार और संकल्प
शिविर के अंतिम दिन ‘कौसानी घोषणा’ नामक एक सामूहिक संकल्प पारित किया गया, जिसमें निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं को शामिल किया गया:
- गांधी विचारों को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए कथा, कार्यशालाएँ, गोष्ठियाँ एवं शिविरों का निरंतर आयोजन।
- मूल्य आधारित सामाजिक चेतना के लिए संवाद और संचार माध्यमों का उपयोग।
- गांधी एवं उनके विचारों पर हो रहे अपमान व अपप्रचार के विरुद्ध तथ्यों पर आधारित जनजागरण।
- घृणा, सांप्रदायिकता एवं जातिवाद जैसी चुनौतियों के विरुद्ध अहिंसक सत्याग्रह का आयोजन।
- प्रासंगिक रचनात्मक कार्यों जैसे सर्वधर्म प्रार्थना सभा, स्वदेशी और खादी का प्रचार आदि को जन-आंदोलन का रूप देना।
इस घोषणा को युवाओं ने एक नई यात्रा की शुरुआत बताया, जो भारत की आत्मा को पुनः जाग्रत करने के लिए अहिंसा, सत्य, करुणा और सेवा के मार्ग पर आगे बढ़ेगी।
लक्ष्मी आश्रम की विशेष भूमिका
इस आयोजन में लक्ष्मी आश्रम की सक्रिय भागीदारी उल्लेखनीय रही। उद्घाटन सत्र में सुश्री राधा भट्ट ने युवाओं को प्रेरणादायक संदेश दिया। सुश्री कांती बहन नीमा वैष्णव और आश्रम की छात्राओं ने न केवल सभी सत्रों में हिस्सा लिया, बल्कि कौसानी में शराबबंदी को लेकर हुए जन प्रदर्शन में भी बढ़-चढ़कर भागीदारी की।
निष्कर्ष
यह शिविर केवल एक चिंतन का मंच नहीं था, बल्कि एक सामूहिक संकल्प की अभिव्यक्ति भी थी। सभी प्रतिभागियों ने लौटकर अपने-अपने गांव, शहर या संस्थाओं में इस विचार और घोषणा को अमल में लाने का संकल्प लिया।
गांधी विचार की यह नई यात्रा अब युवाओं के हाथों समाज में बदलाव की एक रचनात्मक चेतना के रूप में प्रस्फुटित हो रही है।