Gandhi Galaxy
जमनालाल बजाज पुरस्कार-2024
श्री गिरिजा नंदन
प्रमुख उपलब्धियां: गिरिजा नंदन का जीवन गांधीवादी विचारधारा, विशेष रूप से अहिंसा, स्वावलंबन और समाज सेवा के प्रति समर्पित रहा। बचपन में उन्होंने ग्रामीण भारत में गरीबी और स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे लोगों की दशा देखी। 1966 में कालाहांडी और गया जैसे अकाल-प्रभावित क्षेत्रों में लोकनायक जयप्रकाश नारायण (जेपी) के नेतृत्व में राहत कार्यों में भाग लेकर उन्होंने सामाजिक न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को और मजबूत किया। 1971 में उन्होंने सतीश कुमार के साथ मिलकर नव भारत जागृति केंद्र (NBJK) नामक संस्था की स्थापना की, जो झारखंड में भूदान भूमि पर स्थापित हुआ। यह केंद्र बिहार और झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में दलितों, महिलाओं और वंचित वर्गों के सशक्तिकरण के लिए कार्यरत है।
रश्मि भारती
प्रमुख उपलब्धियां: पिछले 33 वर्षों से रश्मि भारती ने उत्तराखंड और उडीसा के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा, सामुदायिक स्वास्थ्य, नवीकरणीय ऊर्जा, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन और पारंपरिक हस्तशिल्प को पुनर्जीवित कर स्थायी आजीविका प्रदान करने में अपना योगदान दिया है। 1999 में रश्मि भारती और उनके पति रजनीश जैन ने उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के त्रिपुरादेवी गांव में अवनि नामक संस्था की स्थापना की। अवनि ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के अवसर उत्पन्न करने, पारंपरिक हथकरघा कौशल को पुनर्जीवित करने और जैव विविधता और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए कार्यरत है। यह पहल आज 108 गांवों और बस्तियों में 20,000 से अधिक लोगों तक पहुंच चुकी है।
डॉ तुलसी मुंडा
प्रमुख उपलब्धियां: तुलसी मुंडा ने आदिवासी समुदायों, महिलाओं और बच्चों की शिक्षा और कल्याण को अपने जीवन का मिशन बनाया। गांधीवादी मूल्यों से प्रेरित होकर उन्होंने आदिवासी विकास समिति (एवीएस) की स्थापना की और शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन का माध्यम बनाया। उनकी जीवन यात्रा और योगदान: शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता: बचपन से ही तुलसी मुंडा का झुकाव शिक्षा की ओर था। उन्होंने 1961 में विनोबा भावे के भूदान आंदोलन में भाग लिया, जहां वे स्वतंत्रता संग्राम में गांधीवादी महिलाओं के साथ जुड़ीं। एवीएस विद्या मंदिर की स्थापना (1964): उन्होंने सेरेंडा में एवीएस विद्या मंदिर की शुरुआत की, जिसमें खदान मजदूरों, दिहाड़ी श्रमिकों और खानाबदोश बच्चों को शिक्षा प्रदान की गई। इसके साथ ही उन्होंने एक आवासीय स्कूल भी शुरू किया, जिससे स्कूल न जा पाने वाले बच्चों को शिक्षा का लाभ मिला।
रेव. एरिक कुमेडिसा
प्रमुख उपलब्धियां: कांगो क्षेत्र में युद्ध और संघर्ष की कठिन परिस्थितियों के बावजूद रेव. एरिक कुमेडिसा ने गांधीवादी मूल्यों के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन और स्थिरता की दिशा में अनुकरणीय कार्य किया है। उनकी यात्रा और उपलब्धियां: गांधी मोंक्स कम्युनिटी (2008): उन्होंने 2008 में गांधी मोंक्स कम्युनिटी नामक एक गैर-लाभकारी संगठन की स्थापना की। यह कम्यूनिटी अहिंसा के आदर्शों को मानते हुए हिंसा उत्पन्न करने वाली प्रथाओं को चुनौती देती है। गांधीवादी दर्शन का अध्ययन करके कम्यूनिटी के सदस्य न केवल स्वयं को, बल्कि समाज को भी सकारात्मक दिशा में ले जाने का प्रयास करते हैं।
जमनालाल बजाज पुरस्कार-2023
श्री निलेश देसाई
प्रमुख उपलब्धियां: 1987 में, उन्होंने मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के पेटलावद तहसील में संम्पर्क समाज सेवा संस्था की स्थापना की। इसका उद्देश्य भील आदिवासी समुदाय की गंभीर समस्याओं का समाधान करना था। उन्होंने भील समुदाय की पारंपरिक और मजबूत परामर्श प्रणाली को पुनर्जीवित किया और इसे समुदाय के मामलों के प्रबंधन के लिए लागू किया। इसके बाद, उन्होंने सतत कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं, महिला अधिकारों, माइक्रो-फाइनेंस और अक्षय ऊर्जा के कार्यक्रमों की शुरुआत की। अभी वे 9 जिलों के 21 ब्लॉकों के 2000 से अधिक गांवों में सक्रिय है और इनकी गतिविधियाँ 2,00,000 से अधिक आदिवासी परिवारों तक पहुँच चुकी हैं।
श्री मनसुखभाई प्रजापति
प्रमुख उपलब्धियां: 2022 में ग्रामीण विकास के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग में योगदान के लिए श्री मनसुखभाई प्रजापति को जमनालाल बजाज पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनका जन्म 19 अक्टूबर 1965 को गुजरात के मोरबी जिले के निची मंडल गांव में हुआ था। मिट्टी आधारित उपयोगी और बहुउद्देश्यीय उत्पादों के लिए प्रसिद्ध श्री प्रजापति ने मिट्टी के बर्तनों की परंपरा को आधुनिक तकनीकों और उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला के माध्यम से मुख्यधारा में लाने का कार्य किया। उनके पिता पारंपरिक कुम्हार थे, लेकिन उन्होंने मनसुखभाई को इस पेशे में जाने से हतोत्साहित किया। इसके बावजूद, अपने दृढ़ निश्चय और जुनून के बल पर उन्होंने अपने सपने को साकार किया।
जमनालाल बजाज पुरस्कार-2021
सिस्टर लूसी कुरियन
प्रमुख उपलब्धियां: सिस्टर लूसी कुरियन ने महिलाओं पर हो रही हिंसा और अत्याचार की एक दर्दनाक घटना से प्रेरित होकर 1997 में "महर" (जिसका अर्थ है "मां का घर") की स्थापना की। यह संस्था पीड़ित और बेसहारा महिलाओं को सुरक्षित आश्रय प्रदान करती है। उनके अथक प्रयासों और समर्पित टीम की मेहनत से महर की गतिविधियां महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव से शुरू होकर रत्नागिरी, मिरज और सतारा सहित केरल, कोलकाता, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और झारखंड तक फैल गईं। आज महर 24 से अधिक विभिन्न परियोजनाओं के माध्यम से गरीबों और जरूरतमंदों के जीवन में बदलाव ला रहा है।
श्री डेविड एच. अल्बर्ट
प्रमुख उपलब्धियां: डेविड एच. अल्बर्ट ने "फ्रेंडली वाटर फॉर द वर्ल्ड" की सह-स्थापना की, जो उप सहारा अफ्रीका और भारत के बेहद गरीब और वंचित समुदायों के साथ काम करता है। उन्होंने विधवाओं, एचआईवी पीड़ितों, शरणार्थियों, पूर्व बाल सैनिकों, युद्धकालीन बलात्कार और यौन शोषण के पीड़ितों, आदिवासी समुदायों, दलितों, बेरोजगार युवाओं, अनाथों, नरसंहार से बचे लोगों और विकलांग व्यक्तियों के लिए अपनी सेवाएं दी हैं।
श्री धरमपाल सैनी
प्रमुख उपलब्धियां: एक साहसी और विनम्र गांधीवादी कार्यकर्ता, श्री धरमपाल सैनी ने अपना बचपन धार और सहारनपुर में बिताया। धार में उनके दिन उनके पिता के सख्त अनुशासन में और सहारनपुर में अपनी दादी के लाड़-प्यार और खेल-कूद में बीते। उनकी माता एक शांत, मेहनती और साहसी महिला थीं। परिवार और मित्रों का सहयोग उनके जीवन में सदैव अटल रहा। कक्षा आठ में श्री सैनी को रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद को पढ़ने का अवसर मिला। एक दिन उन्होंने स्वतःस्फूर्त संकल्प लिया कि वे सरकारी नौकरी नहीं करेंगे, विवाह नहीं करेंगे और अपना जीवन देश सेवा को समर्पित करेंगे।
डॉ. लाल सिंह
प्रमुख उपलब्धियां: डॉ. लाल सिंह, जो एक सुदूर गांव से आते थे, ने सीमित संसाधनों के बावजूद 1997 में हिमालयन रिसर्च ग्रुप (HRG) की स्थापना की। उनके पास डॉक्टरेट, पोस्टडॉक्टोरल अनुभव तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST), भारत सरकार से 'यंग साइंटिस्ट' की मान्यता थी। HRG ने उत्तर पश्चिमी भारतीय हिमालय क्षेत्र में ग्रामीण पर्वतीय समुदायों के जीवनयापन, जैव विविधता संरक्षण, जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और समग्र विकास के लिए आवश्यकता आधारित प्रौद्योगिकी मॉडल विकसित किए।