कौसानी की पवित्र भूमि पर शराब की दुकानों के खिलाफ यूथ फॉर ट्रुथ का विरोध प्रदर्शन

“जहाँ महात्मा गांधी ने अनासक्ति योग की टीका लिखी, सरला बहन ने अपना जीवन समर्पित किया और सुमित्रानंदन पंत की कविताओं में प्रकृति बोलती है — वहां शराब की दुकानों की कोई जगह नहीं हो सकती।”

कौसानी की आत्मा को बचाने का संकल्प

उत्तराखंड के कौसानी में Youth for Truth संगठन के बैनर तले देशभर से आए युवाओं, गांधी चिंतकों, वरिष्ठजनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और महिलाओं ने एकजुट होकर शराब की दुकानों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। पंत मार्ग से लेकर कौसानी तिराहे तक निकाली गई शांति पदयात्रा में विरोध का स्वर सिर्फ शराब के खिलाफ नहीं, बल्कि उस सोच के खिलाफ था जो सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहरों को बाजार के हवाले कर देना चाहती है।

कौसानी: सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं, एक आध्यात्मिक धरोहर

कौसानी वह धरती है जहाँ महात्मा गांधी ने अनासक्ति योग की टीका लिखी थी। यहीं सरला बहन ने महिलाओं और समाज upliftment का कार्य किया और यहीं जन्मे छायावाद के स्तंभ, सुमित्रानंदन पंत। इस पवित्र भूमि पर शराब की दुकान खोलना केवल व्यापारिक निर्णय नहीं, यह सांस्कृतिक मूल्यों और आध्यात्मिक चेतना पर हमला है।

विरोध की आवाज़ें: शब्दों से संकल्प तक

प्रदर्शनकारियों ने साफ तौर पर कहा कि वे शराबबंदी की माँग पर अडिग हैं और कौसानी जैसे पावन स्थान पर किसी भी कीमत पर शराब के व्यापार को स्वीकार नहीं किया जाएगा।

वरिष्ठ गांधीवादी चिंतक रामदत्त त्रिपाठी ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा:

“एक ओर सरकार पद्मश्री से राधा बहन भट्ट को सम्मानित करती है और दूसरी ओर शराब की दुकानें खोलकर उनके जीवन मूल्यों और विचारों को आघात पहुंचाती है। यह दोहरापन नहीं चलेगा।”

कौन-कौन हुआ शामिल?

इस विरोध प्रदर्शन में कई प्रसिद्ध गांधी विचारकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की उपस्थिति रही:

  • सुदर्शन आयंगर
  • सिबी के. जोसेफ
  • अश्विन जाला
  • हेमंत कुमार शाह
  • अशोक कुमार शरण
  • भुवन पाठक
  • सत्येंद्र कुमार
  • वरुण मित्रा
  • जागृति, वी.के. पंत
  • राजीव लोचन शाह, विपिन जोशी, गोपाल, सत्यव्रत
  • विजय शंकर शुक्ल

वहीं Youth for Truth से सक्रिय युवा कार्यकर्ताओं — विवेक कुमार साव, अखिल तिवारी, लीलू कुमारी, बिपासा रैना, अजय पोद्दार, स्वधा, कमल सिंह, नीरज, और लक्ष्मी आश्रम की बहनें — भी इस आंदोलन का प्रमुख चेहरा बने।

यह सिर्फ विरोध नहीं, एक जन चेतना है

यह प्रदर्शन केवल शराब की दुकान के खिलाफ नहीं था, बल्कि एक व्यापक जनचेतना की शुरुआत है जो सांस्कृतिक मूल्यों, सामाजिक जिम्मेदारी और युवाओं की सक्रिय भूमिका को सामने लाता है। यह पहल नशामुक्त भारत की ओर एक कदम है — एक ऐसा भारत जो गांधी की सोच, पंत की कविता और सरला बहन की करुणा से प्रेरित हो।


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अगर आप भी इस आंदोलन का हिस्सा बनना चाहते हैं या अपने क्षेत्र में नशामुक्त भारत की मुहिम शुरू करना चाहते हैं, तो Youth for Truth से जुड़िए और अपने विचार साझा कीजिए।

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